नोनी एक सदाबहार कम ऊँचाई वाला पेड़ होता है। यह मुख्य रूप से दक्षिण पूर्व एशिया, ऑस्ट्रेलिया, पेसिफिक द्वीप समूहों और भारत में पाया जाता है। नोनी का प्रयोग कपड़ों के लिए लाल और पीला रंग बनाने के लिए किया जाता रहा है। नोनी का प्रयोग दवाई के रूप में भी किया जाता रहा है।
नोनी का फल, फूल, पत्ते, छाल और जड़ों का प्रयोग विभिन्न प्रकार की दवाइयों में किया जाता है पर आधुनिक चिकित्सा में इसके प्रयोग और असर के विषय में पर्याप्त जानकारी उपलब्ध नहीं है। लेकिन जो चिकित्सक नोनी का प्रयोग उपचार के लिए करते हैं वो इसे बहुत सारी बीमारियों में उपयोगी मानते हैं।
पोटासियम समेत नोनी में बहुत सारे अवयव हैं जिनकी वजह से नोनी की उपयोगिता है। नोनी शरीर की खराब कोशिकाओं को ठीक करने में मदद करता है, रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है और अन्य बहुत से उपयोग हैं नोनी के।
नोनी निम्न बीमारियों में उपयोगी हो सकता है।
- केंसर
- जोड़ों से संबंधित समस्याओं में
- कसरत करने की क्षमता को बढ़ाता है
- उच्च रक्तचाप के नियंत्रण में
- त्वचा से रोगों में
- उलटी आदि पेट से संबंधित रोगों में
- बहुत से इन्फैक्शनस् में
- सर्दी जुकाम आदि में
- डाइबिटीज में
- अस्थमा में
- पाचन संबंधित रोगों में
कुल मिलाकर नोनी का प्रयोग बहुत सारी बीमारियों में किया जा सकता है।
नोनी में पोटासियम की मात्रा अधिक होने से ये किडनी रोगों में नुकसान कर सकता है। अधिक मात्रा में नोनी लिवर को भी नुकसान कर सकता है। गर्भावस्था में और स्तन पान के दौरान नोनी का प्रयोग करने से पहले अपने आयुर्वेदिक चिकित्सक की सलाह अवश्य ले लें।
नोनी जूस की 30 मिली लीटर तक की मात्रा दिन में दो बार ली जा सकती है।
यह लेख आपकी जानकारी के लिए है। अपने आयुर्वेदिक चिकित्सक की सलाह अवश्य लें।