संक्रमण काल है. करोना का प्रकोप है दुनिया भर में. अभी तक कोई दवाई या वैक्सीन नहीं है करोना के संक्रमण से बचाव के लिए. लॉकडाउन है. सरकारें, दुनिया भर में यही कह रही हैं – बचाव और इम्युनिटी को बनाये रखने के अलावा और कोई रास्ता नहीं है. अपनी इम्युनिटी को बढ़ाएं, और जैसा की प्रधानमंत्री जी ने कहा – दो गज की दूरी है जरुरी!
इम्युनिटी क्या है?
ये कोई राकेट साइंस नहीं है. मै आपको कोई नई बात नहीं बता रहा. रोगों से लड़ने की शरीर की क्षमता को ही इम्युनिटी कहते हैं. अगर आपकी इम्युनिटी स्ट्रोंग होगी तो आपके संक्रमण से बचे रहने की सम्भावना अधिक होगी और अगर आपकी इम्युनिटी वीक होगी तो आपके बीमार पड़ने की सम्भावना अधिक होगी. ये जरुरी नहीं की संक्रमण करोना का हो. किसी भी प्रकार के संक्रमण से अगर आप बचना चाहते हैं तो अपनी रोगों से लड़ने की क्षमता को मजबूत बनाईए!
क्या खाने से बढ़ेगी आपकी इम्युनिटी?
कोई कहता है आंवला खा लो, कोई कहता है संतरा खा लो, कोई नीबू तो कोई एलोवेरा या और भी बहुत कुछ खाने के सलाह देते हैं और कहते हैं की इससे इम्युनिटी इम्प्रूव हो जाएगी. लोग हर किसी के कहे अनुसार हर चीज़ का प्रयोग करके देखते हैं और निराश हो जाते है. रोज कोई न कोई आकर किसी नए और चमत्कारी प्रोडक्ट के बारे में बताता है. रोज़ कोई नया प्रोडक्ट हम खरीदते है और रिसल्ट?
वही ढाक के तीन पात!
रसायन औषधियां क्या हैं?
आयुर्वेद में रसायन केमेस्ट्री वाला रसायन नहीं है. आयुर्वेद में उन द्रव्यों को रसायन कहते हैं जो शरीर को स्वास्थ और पुष्ट करते हैं और मस्तिस्क को भी अधिक बल प्रदान करते है. पर ऐसा नहीं है की इन रसायनों का प्रयोग आप यूँ ही बिना किसी चिकित्सक की सलाह के कर लें. ऐसा भी नहीं की इनका कोई साइड इफ़ेक्ट नहीं. ये अपना काम तो पूरा करते हैं पर इनके इस्तेमाल का सही तरीका जानना जरुरी है और पथ्य और अपथ्य का ज्ञान भी जरुरी है. इनका पूरा फायदा आपका शरीर उठा पाए इसके लिए जरुरी है की आपकी अग्नि या जठर अग्नि ठीक हो.
ये अग्नि क्या है?
अग्नि या जठर अग्नि शरीर में भोजन को पकाने या पचाने में प्रयुक्त होती है. इसको ऐसे समझें – आपने कुकर में चने डाल दिए, मसाले और पानी आदि सभी जरुरी द्रव्य डाल दिए पर गैस जलाना भूल गए. तो क्या इस स्थिति में चने पक जायेंगे? और अगर ज्यादा समय तक कुकर में पड़े रहे तो ख़राब हो जायेंगे और उनमे से बदबू आ जाएगी. ठीक इसी तरह अगर आपके शरीर की अग्नि या जठर अग्नि मंद है तो भोजन पचेगा नहीं और अगर पचेगा नहीं तो सड़ेगा और विष की उत्पत्ति होगी. ये विष आम विष कहलाते हैं और इन से तुरंत मृत्यु नहीं होती पर ये विष शरीर के जिस भी हिस्से में जायेंगे वहीँ रोगों की उत्पत्ति होगी.
शान्तौ अग्नि म्रियते!
इसका मतलब है – अगर अग्नि शांत हो जाये तो शरीर मृत हो जाता है! ठंडा पड जाता है!
खान-पान की गलत आदतें
अच्छे से अच्छा भोजन भी अगर आप जरुरत से ज्यादा खायेंगे तो उससे आपको फायदा नहीं होगा और हो सकता है की आप को नुक्सान हो. अब हम अपनी अपनी खाने की आदतों को अगर देखें तो आप पाएंगे की सबका भोजन करने का पेटर्न लगभग एक जैसा है. सुबह ऑफिस जाने से पहले नाश्ता, फिर ऑफिस पहुँच कर चाय और बिस्किट, फिर लंच टाइम, फिर इवनिंग टी और कुछ स्नेक्स फिर घर पहुँच कर चाय और कुछ नाश्ता, फिर डिनर और रात को सोने से पहले गरम दूध और फिर स्लीप टाइम और अगले दिन फिर यही रूटीन!
आप कहेंगे की इसमें गलत क्या है?
भोजन पचने में दो प्रहर का समय लगता है
आयुर्वेद के अनुसार, भोजन पचने में दो प्रहर का समय लगता है, दो प्रहर का मतलब है लगभग छह घंटे. और हम पहले भोजन के पचने से पहले ही दोबारा कुछ न कुछ खा लेते है. जब तक नाश्ता नहीं पचता हम चाय और बिस्किट खा लेते है. अभी ये भी नहीं पचा और लंच टाइम हो गया. अब टाइम हो गया तो लंच तो करना ही है! अभी लंच पचा नहीं है और फिर शाम की चाय और कुछ स्नैक्स, फिर घर पर चाय, फिर डिनर और फिर ..
कहने का मतलब ये है की हम एक बार भी किये भोजन को ठीक से पचने का समय नहीं देते. आयुर्वेद के अनुसार अगर भोजन ठीक से पचता नहीं तो पेट में ही सड़ने लगता है और कई तरह के विष बनता है. ये विष तुरंत मृत्यु का कारण नहीं होते पर ये शरीर के जिस भी हिस्से में पहुँचते हैं कई तरह के रोगों को उत्पन्न करते है. इन विषों को आयुर्वेद में आम विष कहते हैं.
भोजन के पचने पर जो रस उत्पन्न होते हैं, ये शरीर को पोषण देने का काम करते है. आप तो भोजन को पचने का समय ही नहीं दे रहे!
ऐसे में आप अच्छे से अच्छा भोजन भी करेंगे तो भी आप को उचित लाभ नहीं मिल पायेगा. इसीलिए बहुत से लोग आप को ऐसे मिलेंगे जो कहते हैं की सब कुछ करके देख लिया पर इम्युनिटी वीक है. जैसे ही मौसम बदलता है कुछ ना कुछ परेशानी हो ही जाती है!
इम्युनिटी – जन्म से, मौसम से और युक्ति से!
इम्युनिटी जन्म से होती है, मौसम के अनुसार होती है और युक्ति के अनुसार होती है. युक्ति का मतलब है की ये आपके अपने हाथ में होती है – आपके खान-पान, आपकी दिनचर्या आदि पर निर्भर करती है.
जन्म से ही अगर आपकी इम्युनिटी वीक है या अगर मौसम की वजह से आपकी इम्युनिटी वीक हो जाती है तो आप उसे युक्ति से ठीक कर सकते हैं.
पथ्य का पालन करें!
पथ्य का पालन करें. जो भी आप खाते हैं उसपर ध्यान दें. अच्छा भोजन करें. भोजन मौसम के अनुसार करे. मौसम के अनुरूप जो फल और सब्जियां हैं उन्हें ज्यादा खाएं. ये फल और सब्जियां आपको सस्ती मिलेंगी. और ये ही उस मौसम विशेष में आपके स्वास्थ्य के लिए अधिक लाभ भी देंगी. आपके शरीर को आपकी अमीरी से कुछ लेना देना नहीं है. सुपाच्य भोजन ही शरीर की आवश्यकता है.
भोजन को पचने का उचित समय दें. दो प्रहर यानि छह घंटे से पहले दोबारा ना खाएं. हो सकता हे की आपकी अग्नि अधिक तीव्र हो तो आप चार घंटों में भी भोजन कर सकते हैं. यदि आप कसरत आदि करते है तो भी आप जल्दी भोजन कर सकते है.
साधारण सा नियम ये है की जब तक कड़ी भूक ना लगे भोजन नहीं करना चाहिए. आधा पेट भोजन करें, एक चौथाई पानी के लिए और एक चौथाई खाली छोड़ें.
आपका भोजन पचेगा, उचित रस आदि बनेंगे और शरीर को उचित पोषण मिलेगा. इससे आपकी जठर अग्नि भी तीव्र हो जाएगी. आपकी इम्युनिटी भी स्ट्रोंग होगी!
क्या आपने कभी फ़ूड मिक्सर में चटनी या कुछ और पीसा है? लिमिट से ज्यादा उसमे अगर आप टमाटर आदि डाल देंगे तो चटनी ठीक नहीं बनेगी. बिना मिक्सार को आराम दिए लगातार उससे काम लेने पर उसकी मोटर गरम होकर जल जाएगी!
फिर अपने शरीर के साथ अत्याचार क्यों?
अपने शरीर की आवाज सुने. जब एक रोटी आप ज्यादा खा लेते हैं तो आपको पता लग जाता है. जब आप कसरत भी किसी दिन अधिक कर लेते हैं तो भी आवाज आ जाएगी. आपको पता लग जायेगा. अपने शरीर की आवाज सुने और उसपर भरोसा करें.
कुछ आयुर्वेदिक उपचार
सोंठ या अदरक आप खाने से पहले अगर खाते हैं तो ये आपकी जठर अग्नि को तीव्र करने में मदद करेगा.
हिंग का प्रयोग भी आप कर सकते हैं खाना बनाने में या घी में भुन कर खाने से पहले भी ले सकते है.
गिलोय का काढ़ा सुबह खाली पेट इस्तेमाल किया जा सकता है. इसके बाद कम से कम २-३ घंटे तक कुछ ना खाएं.
ये लेख आपकी जानकारी के लिए है. उचित सलाह के लिए आप अपने नजदीक किसी आयुर्वेदिक चिकित्सक से संपर्क करें.