शिलाजीत है सभी बीमारियों में लाभदायक

शिलाजीत है सभी बीमारियों में लाभदायक

जी हॉं आयुर्वेद में शिलाजीत को सर्व व्याधि विनाशनम् कहा गया है। जितने भी साध्य रोग हैं जिन्हें ठीक किया जा सकता है उन सब में शिलाजीत उपयोगी हो सकता है। आम धारणा है कि शिलाजीत का प्रयोग केवल सैक्स संबंधित रोगों में ही होता है, पर यह धारणा सही नहीं है। शिलाजीत हिमालय की...
अश्वगंधा के गुण और लाभ

अश्वगंधा के गुण और लाभ

अश्वगंधा का मतलब है – घोड़े जैसी गंध हो जिसकी। नाम में ही घोड़ा है और काम भी वैसा ही है। आयुर्वेद में वर्णित एक कमाल की औषधि है अश्वगंधा। इस लेख में आज विस्तार से जानते हैं अश्वगंधा के बारे में। अश्वगंधा लघु है, उष्ण वीर्य है, स्निग्ध है और मधुर रस वाली औषधि है।...
नाेनी के फायदे

नाेनी के फायदे

नोनी एक सदाबहार कम ऊँचाई वाला पेड़ होता है। यह मुख्य रूप से दक्षिण पूर्व एशिया, ऑस्ट्रेलिया, पेसिफिक द्वीप समूहों और भारत में पाया जाता है। नोनी का प्रयोग कपड़ों के लिए लाल और पीला रंग बनाने के लिए किया जाता रहा है। नोनी का प्रयोग दवाई के रूप में भी किया जाता रहा है।...

आयुर्वेद में द्रव द्रव्यों का व्याख्यान – जल

द्रव शब्द अनेक अर्थों का वाचक है जैसे – घोड़े की तरह दौड़ना, चूना, रिसना, गीला, टपकना इत्यादि. प्राचीन भारतीय विद्वानों के मतानुसार जल तत्व की उत्पत्ति अग्नि तत्व से हुई है. वे जल को आप कहते हैं – जिसका अर्थ है – सर्वत्र व्याप्त. जल तथा बर्फ से भी भाप...

तीनों दोषों और शारीरिक मलों का शोधन

वात, पित्त और कफ आदि दोषों का और पुरीष आदि शारीरिक मलों का अगर समय पर शोधन न किया जाय तो वे अधिक कुपित होकर शारीर का विनाश भी कर सकते हैं. उपचारों के द्वारा शांत किये गए दोष पुनः कुपित हो सकते हैं, पर जिन दोषों को वमन, विरेचन आदि संशोधन क्रियाओं के द्वारा शुद्ध किया...

रोगानुत्पादनिय अध्याय अष्टांगहृदयं

रोगानुत्पादनिय अष्टांगहृदयं का चौथा अध्याय है. इसका अर्थ है रोगों की उत्पत्ति की रोकथाम. वो प्रयास जिसके कारण रोगों से बचा जा सके. आयुर्वेद में स्वास्थ्य की रक्षा को सर्वप्रथम महत्वपूर्ण माना गया है. अगर आप आहार-विहार आदि दिनचर्या और ऋतुचर्या का ध्यान रखें तो रोगों से...