सामान्य दूध के गुण
सामान्य दूध रस अवेम पाक में मधुर होता है. सामान्य दूध स्निग्ध होता है और ओजस और रस आदि धातुओं को बढ़ने वाला होता है. ये वात और पित्त दोष का शमन करता है, वीर्य को बढ़ता है और कफ को भी बढ़ने वाला होता है. पचने में गुरु और शीतल होता है.
गाय के दूध के गुण
गाय का दूध जीवन शक्ति को देने वाला और रसायन के गुण-धर्म से भरपूर होता है. यह क्षय रोगियों के लिए हितकर होता है और बुद्धि-बल को बढ़ने वाला होता है. यह श्रम, भ्रम, मद, अलक्ष्मी (कान्तिहिनता), श्वास, कास, प्यास का अधिक लगना, अधिक भूक का लग्न, पुराना ज्वर, मुत्रकृच्छ तथा रक्त-पित्त रोग आदि का विनाशक है.
भैंस के दूध के गुण
भैंस का दूध, जिनको नींद ना आती हो और जिनकी जठराग्नि तीव्र हो गई हो, उनके लिए हितकर है. यह गाय के दूध से अधिक गुरु और शीतल होता है.
बकरी के दूध के गुण
बकरी कूदना-फांदना दौड़ना आदि व्यायाम बहुत करती है, कम जल पीती है और प्राय: कटु-तिक्त रस युक्त पत्तों को खाती रहती है. इसलिए बकरी का दूध पचने में हल्का होता है. यह शोष, ज्वर, स्वास, रक्त-पित्त तथा अतिसार रोगों को नष्ट करने वाला होता है.
ऊंटनी के दूध के गुण
ऊंटनी का दूध थोडा रुक्ष, लवण रस युक्त, अग्निदीपक और हल्का होता है. यह वातविकार, कफविकार, अफरा, क्रीमी रोग, शोथ रोग, उदार रोग तथा अर्शोरोग में हितकर होता है.
मानुषी दूध के गुण
नारी का दूध वात, पित्त, रक्त तथा चोट लगने के कारण उत्पन्न नेत्र रोगों में हितकर होता है.
भेडी के दूध के गुण
भेड़ी का दूध ह्रदय को अप्रिय या अहितकर और उष्ण होता है। ये वात व्याधि नाशक है और हिचकी, स्वास, पित्त और कफ को उभाड़ता है। वात व्याधि में इसे पीने तथा मालिश करने से लाभ होता है।
हथनी के दूध का गुण
हथनी का दूध शारीर की स्थिरता को पर्याप्त मात्र में बढ़ता है.
एकशफ़ दूध के गुण
एक खुर वाले प्राणियों (घोड़ी, गाढ़ी आदि) का दूध उष्ण यानि गरम तथा हल्का होता है. यह शाखाओं के वात दोष का नाशक होता है. यह कुछ खट्टा और लवण रस युक्त होता है और आलस्य और बुद्धिहीनता का करक होता है.
बिना गरम किया हुआ दूध अभिष्यंदी और गुरु होता है और पाक में भरी होता है. विधिवत पकाया गया दूध इसके विपरीत गुणों वाला होता है. अधिक पकाया गया दूध अधिक गुरु हो जाता है और धारोष्ण दूध अमृत के सामान होता है.