कसीस काे अंगॊेजी में सल्फेट ऑफ आयरन भी कहा जाता है। कसीस दाे प्रकार का हाेता है –
- पुष्प कसीस और
- बालू कसीस
बालू कसीस काे धातु कसीस भी कहते हैं। यह खानाें में पाया जाता है और इसे बनाया भी जाता है – लाेहा और गंधक के तेजाब काे मिला कर। बाजाराें में मुख्य रूप से यही बिकता है। औषधि प्रयाेग के लिए इसी का प्रयाेग किया जाता है।
मात्रा और अनुपान
कसीस भस्म काे 1-3 रत्ती तक, सुबह शाम दाे बार शहद के साथ लिया जा सकता है।
गुण और उपयाेग
कसीस भस्म काे नीचे लिखे विकाराें में प्रयाेग कया जा सकता है –
- पाण्डु राेग या एनीमिया
- रक्त की कमी
- क्षय या टी बी
- कुष्ठ राेग यानि स्किन डिसऑडर्स
- लिवर और स्पलीन के बढ़ने पर
- आम विकार या जब भाेजन ठीक से न पचे
- उदर राेग
- गुल्म और पेट दर्द आदि राेग
- राेग ठीक हाेने के बाद की कमजाेरी में
- नया रक्त बनाने के लिए और शरीर काे पुष्ट करने के लिए
- पाचक पित्त संबंधी विकाराें काे दूर करने के लिए
- ढीले अंगाे काे मजबूत और कड़ा करने के लिए
- जख्म या व्रण काे ठीक करने के लिए
- तर खुजली या फाेड़े फुंसी जिसमे मवाद पड़ गया हाे
- नासूर के लिए
कसीस भस्म मंडूर भस्म से भी ज्यादा साैम्य है और इसके साइड इफैक्ट्स न के बराबर हैं।
चेतावनी
यह लेख केवल आपकी जानकारी के लिए है। कृपया अपना इलाज स्वयं करने का प्रयास न करें। किस राेग में कसीस भस्म काे कैसे प्रयाेग करना है यह आपका वैद्य या आयुर्वेदिक डाॅक्टर ही सही बता सकता है। इसलिए कसीस भस्म काे प्रयाेग करने से पहले अपने आयुर्वेदिक चिकित्सक की सलाह अवशय लें।