थकान और कमजोरी के लक्षण

ऊर्जा की कमी, आलस, अधिक पसीना आना, भूख न लगना, किसी भी काम में ध्यान न लगना

बहुत अधिक काम करना

काम करना तो जरूरी है। काम नहीं करेंगे तो काम कैसे चलेगा? अगर आप स्टूडेंट हैं तो पढ़ाई जरूरी है। अगर आप ऑफिस जाते हैं तो वो भी जरूरी है। अगर आप गृहिणी हैं तो घर का काम भी आवश्यक है। पर बीच-बीच में आराम भी करना जरूरी है। अगर आप वर्काहॉलिक हैं तो कुछ समय के लिए अपने काम को रोक कर आराम करें। इससे आपकी एनर्जी रीचार्ज होगी और थकान मिटेगी।

वीकएंड पर कहीं बाहर घूमने जाएं। इससे मन स्वस्थ होगा।

तनाव

आज कल की भाग दौड भरी जिंदगी में तनाव किसे नहीं है? विद्यार्थियों को पढ़ाई की टेंशन। बिजनिस वालों को बिजनिस की, जॉब वालों को नौकरी की, पति को पत्नी की और पत्नी को पति की … ये लिस्ट एंडलैस हो सकती है।

तनाव मुक्त रहने का एक सरल उपाय है अपने काम को समय से कर लें। अगर आप स्टूडेंट हैं और समय से पढ़ाई नहीं करते, या अपना होमवर्क समय से नहीं करते तो तनाव तो होगा ही। आप बिजनिस में हैं या जॉब में और समय से अपना काम नहीं करते तो तनाव से मुक्त नहीं हो सकते। आप गृहिणी हैं और अपने घर के काम समय से नहीं करतीं तो तनाव तो होगा ही, हो सकता है पति से झगड़ा ही हो जाए!

जितना काम आप सहज कर सकते हैं, उतना ही करें। कम समय में ज्यादा बड़ा लक्ष्य हासिल करने का प्रयत्न न करें।

तनाव का असर पूरे शरीर पर पड़ता है। यहां तक कि भोजन भी अच्छा नहीं लगता और भोजन करने के पश्चात उसका ठीक से पचन भी नहीं होता।

कब्ज

कब्ज की वजह से भी थकान और कमजोरी रह सकती है। अगर आप को कब्ज रहती है तो इसका उपाय भी जरूरी है।

थायरॉइड की समस्या

अगर आप को थायरॉइड है तो भी थकान और कमजोरी रहती है। शरीर की अग्नि मंद हो जाती है। भोजन ठीक से नहीं पचता और शरीर को आवश्यक पोषण नहीं मिल पाता। शरीर की मैटाबॉलिज्म स्लो हो जाती है।

खराब डाइट, फास्ट फूड या जंक फूड

अगर आप समय से भोजन नहीं करते तो भी थकान और कमजोरी बनी रहती है। भोजन समय से करना चाहिए और भोजन की गुणवत्ता का ध्यान रखना भी जरूरी है। फास्ट फूड या कि जंक फूड नहीं खाना चाहिए। इससे हमारे शरीर को पर्याप्त मात्रा में पोषण नहीं मिल पाता। इसके अलावा अनावश्यक कैमीकल्स शरीर में प्रवेश पा जाते हैं जो कि नुकसान करते हैं।

कम सोना

जितना आवश्यक है उतना सोना भी जरूरी है। आयुर्वेद में सुबह जल्दी उठने की सलाह दी गई है। पर सुबह उठने से पहले ये विचार भी कर लें कि नींद पूरी हुई या नहीं। अगर नहीं तो न उठें। अगर शरीर को पूरा विश्राम नहीं मिलेगा तो किसी भी काम में मन नहीं लगेगा और थकान बनी रहेगी।

खराब लाइफ स्टाइल

कभी भी सो जाना और कभी भी उठना, समय पर भोजन न करना, व्यायाम न करना आदि खराब लाइफ स्टाइल को दर्शाता है। लगातार थकान और कमजोरी का ये भी एक महत्वपूर्ण कारण है।

ब्रेकफास्ट

सुबह का नाश्ता दिन का सबसे जरूरी हिस्सा है। नाश्ता कभी भी मिस न करें और नाश्ता पौष्टिक हो इस बात का ध्यान जरूर रक्खें। अगर सुबह अच्छा नाश्ता नहीं करेंगे तो दिन में थकान और कमजोरी का अनुभव करेंगे। इसके अलावा जब भूख लगेगी तो कुछ भी खा लेंगे और कभी-कभी जरूरत से ज्यादा भी खा लेंगे। काम करने में मन नहीं लगेगा।

बॉस भी पूछेगा – क्या बात है, बीबी ने आज नाश्ता नहीं दिया?

व्यायाम

सोचिये – आपकी गाड़ी खड़ी रहती है और आप रोज उसमें 10 लीटर पैट्रोल डलवा लेते हैं, क्या होगा?

ठीक इसी तरह भोजन से जो ऊर्जा मिलती है, उसका प्रयोग आवश्यक है। ऊर्जा की अधिकता शरीर में फैट के रूप में स्टोर होने लगेगी। आप का वजन बढ़ने लगेगा और इसके साथ ही बहुत सी बीमारियां आप को घेर लेंगी। थकान और कमजोरी आप के जीवन का एक हिस्सा बन जाएगी।

आप की पत्नी या आपके पति भी आप से परेशान हो जाएंगे – अगर आप शादीशुदा हैं।

अभी शादी नहीं हुई? कभी तो होगी?

वजन को नियंत्रित करें

मोटापा बहुत सारी बीमारियों की जड़ है। मोटापे की वजह से भी थकान और कमजोरी हो सकती है। अगर वजन बहुत ज्यादा है तो इसे कम करें।

बहुत ज्यादा कम वजन की वजह से भी थकान और कमजोरी आ सकती है। अगर वजन बहुत कम है तो इसे बढ़ाएं।

आपका वजन आपकी हाइट और शरीर की वनावट के हिसाब से संतुलित होना चाहिए।

एक बार में ज्यादा न खाएं

एक साथ ज्यादा भोजन करने से भी सुस्ती और आलस आता है। जब पहले खाया हुआ भोजन पच जाए और कड़ी भूख लगे, तभी खाएं और अनुपात में खाएं।

आवश्यकता अनुसार पानी पीएं

सूखा पड़ जाए तो फसल नष्ट हो जाती है। बाढ़ आ जाए तो भी फसल नष्ट हो जाती है।

कम पानी पीना भी हानिकारक है और आवश्यकता से अधिक पानी पीना भी हानिकारक है। अपने शरीर की आवाज को सुनें और उस पर भरोसा करें। जब भी प्यास लगे, पानी पीएं, जितनी प्यास लगे उतना ही पानी पीएं।

अपने डॉक्टर से सलाह लें

ये लेख केवल आपकी जानकारी के लिए है। किसी भी बीमारी की अवस्थ में अपने डॉक्टर (आयुर्वेदिक, ऐलोपैथिक या होमियोपैथिक) की सलाह अवश्य लें। अपना इलाज खुद से करना हानिकारक हो सकता है।

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