कब्ज (Constipation) क्या है

कोई भी स्वस्थ व्यक्ति रोज सुबह उठ कर मल त्याग करता है। लेकिन अगर अगर रोज पेट साफ नहीं होता और हफ्ते में तीन बार से कम मल त्याग होता है तो इसे कब्ज कहते हैं। कब्ज में मल शुष्क हो सकता है, और मल त्याग के लिए जोर लगाना पड़ सकता है। कब्ज किसी भी उम्र में हो सकती है। कब्ज की वजह से शरीर में आलस बना रहता है। किसी भी कार्य में मन नहीं लगता। उलटी करने जैसी इच्छा बनी रहती है और भूख भी खुलकर नहीं लगती।

कब्ज कोई बीमारी नहीं है पर कब्ज की वजह से अन्य बहुत सी बीमारियां हो सकती हैं जैसे बवासीर आदि।

कब्ज थोड़े समय के लिए हो सकती है या इसकी शिकायत लंबे समय तक रहती है।

कब्ज (Constipation) के कारण क्या हैं

सामान्य रूप से हमारी खराब जीवन शैली कब्ज के लिए मुख्य रूप से जिम्मेदार है। आज की भाग दौड़ भरी जिंदगी में न तो सोने का कोई समय है और ना ही उठने का। भोजन भी हम समय पर नहीं करते। व्यायाम के लिए समय नहीं मिलता या आलस की वजह से व्यायाम नहीं हो पाता।

इसे भाग दौड़ भरी जिंदगी में भोजन की गुणवत्ता से भी हम समझौता कर लेते हैं। काम-काजी पति पत्नी आजकल बाहर के भोजन पर अधिक निर्भर करते हैं, खास कर बड़े शहरों में। हमारे भोजन में अधिकतर मैदा और उससे बने भोज्य पदार्थ ही अधिक होते हैं। फल सब्जियां और सलाद आदि कम खाया जाता है। घी-तेल भी विज्ञापनों के चलते गलत इस्तेमाल होते हैं। भोजन में फाइबर या रेशें की कमी से भी कब्ज हो सकती है।

कई बार किसी बीमारी की वजह से या जो दवाएं हम डॉक्टर की सलाह पर लेते हैं, उनकी वजह से भी कब्ज हो सकती है।

मानसिक तनाव से भी कब्ज हो सकती है।

समय पर जब मल त्याग की इच्छा हो तो मल के वेग को अधिक समय तक रोकने से भी कब्ज की शिकायत हो सकती है।

कम पानी पीने से और निर्जलीकरण से भी कब्ज की समस्या हो सकती है।

कब्ज (Constipation) का आयुर्वेद में इलाज क्या है

कब्ज के कारणों से कब्ज का इलाज आसानी से किया जा सकता है। अगर आप कारण का निवारण नहीं करेंगे तो उम्र भर रोगी ही बने रहेंगे। कोई भी दवा आपके काम न आएगी। दवाओं से कुछ समय के लिए आराम तो मिलेगा लेकिन दवाओं को छोड़ते ही समस्या फिर ज्यों की त्यों वापस आ जाएगी।

सबसे पहले अपनी जीवन शैली में बदलाव लाएं। रात को उचित समय पर सोएं और सुबह समय से उठें। काम तो पूरी उमर का है। शरीर ही न रहा या बीमार पड़ रहा तो कर्म भी नहीं कर पाएंगे और अर्थ माने कि धन का भी नुकसान होगा। सुबह उठ कर रोज मल त्याग के लिए जाएं। धीरे धीरे आदत हो जाएगी और समय पर अपने आप ही मल त्यागने की इच्छा होने लगेगी। सुबह उठकर कुछ गुनगुना पानी पीएं और घूमें। इससे भी मल त्याग में सहायता मिलेगी।

शौच आदि से निवृत्त होकर रोज व्यायाम करें। इससे शरीर को मजबूती मिलेगी और बहुत सी बीमारियां तो अपने आप ही खत्म हो जाएंगी।

समय पर भोजन करें। भोजन में फल, सब्जियां और सलाद अधिक मात्रा में लें। भोजन के बीच में घूंट-घूंट पानी पीते रहें। भोजन के एक घंटे बाद और अगले भोजन के एक घंटे पहले तक बीच में पानी पीते रहें, आवश्यकता के अनुसार। भोजन में चिकनाई का भी प्रयोग करें – घी, प्राकृतिक तेल आदि। दूध, दही आदि का भी प्रयोग करें।

मल के वेग को कभी न रोकें। जब भी मल त्याग की इच्छा हो तुरंत ही शौचालय का रुख करें।

इन सब बदलावों से कब्ज की शिकायत में बहुत हद तक आराम मिलेगा। इसके साथ साथ आप निम्न आयुर्वेदिक औषधियों का भी प्रयोग कर सकते हैं।

  • त्रिफला चूर्ण – सुबह खाली पेट और रात को सोते वक्त चौथाई से एक चम्मच गुनगुने पानी या दूध के साथ। त्रिफला न केवल कब्ज में आराम करेगा, ये शरीर को और भी कई प्रकार से स्वस्थ रक्खेगा। त्रिफला से बालों का झाड़ना कम होगा, आंखों के लिए भी त्रिफला फायदेमंद है, पेट से संबंधित रोगों में भी लाभ करता है और त्वचा के लिए भी लाभदायक है। इसके नियमित प्रयोग से भूख भी अच्छी लगेगी और गैस ऐसिडिटी में भी लाभ होगा।
  • खाना खाने के 30 मिनट बाद अभयारिष्ट और कुमारीआसव 15-30 मि. ली. बराबर मात्रा में पानी मिला कर पीएं दिन में दो बार। कब्ज के साथ साथ ये पेट के अन्य बहुत से रोगों में लाभदायक सिद्ध होगा।
  • सुबह शाम दिन में दो बार कोलॉनक्लिन या कोलॉनगोल पाऊडर भी ले सकते हैं आधी से एक चम्मच गुनगुने पानी के साथ। अगर आप त्रिफला लेते हैं तो इनकी आवश्यकता नहीं होगी।
  • रात को सोते समय गुनगुने दूध में ऐरंड तेल 1-2 चम्मच मिला कर पीने से भी लाभ होता है।
  • ईसबगोल की भुसी भी कब्ज में लाभदायक है। इसके प्रयोग के साथ पानी अधिक पीएं।
  • सब्जियों में 1-2 चम्मच गाय का घी डाल कर खाएं।

यदि मल के साथ रक्त आता है या और कोई समस्या है तो किसी अच्छे आयुर्वेदिक चिकित्सक की सलाह अवश्य लें क्यों कि हो सकता है कि आपको कब्ज किसी अन्य गंभीर बीमारी की वजह से हो।

निम्न औषधियां आप हमारे ऑनलाइन स्टोर से भी ले सकते हैं –

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