त्रिफला तीन फलों से मिल कर बना है – हरड़, बहेड़ा और आंवला। त्रिफला में पांच रस होते है – मधुर, तिक्त, कषाय, कटु और अम्ल। त्रिफला में केवल लवण रस नहीं होता। आयुर्वेद के अनुसार त्रिफला तीनों दोषों पर काम करता है – वात, पित्त और कफ दोष पर। त्रिफला उष्ण वीर्य है और रुक्ष है।

सम प्रमाण त्रिफला में तीनों फल – हरड़, बहेड़ा और आंवला समान मात्रा में लिए जाते हैं। तीनों फलों की मात्रा को लेकर आयुर्वेद में अलग अलग विद्वानों के अलग अलग मत हैं। कुछ विद्वान एक भाग हरड़, दो भाग बहेड़ा और तीन भाग आंवला को अच्छा मानते हैं तो कुछ विद्वान एक भाग हरड़, दो भाग बहेड़ा और चार भाग आंवला को अच्छा मानते हैं।

त्रिफला के नियमित प्रयोग से अनेक रोगों में लाभ होता है। त्रिफला को चौथाई चम्मच से लेकर एक चम्मच तक सुबह खाली पेट और शाम को सोते वक्त गुनगुने पानी से, दूध से या शहद के साथ लिया जा सकता है।

कफ और पित्त का शमन और वायु का अनुलोमन करता है त्रिफला।

सातों धातुओं पर काम करता है त्रिफला और आयुर्वेद में इसे एक उत्तम रसायन माना गया है।

मलों का अनुलोमन करता है त्रिफला अर्थात शरीर को डीटॉक्स करता है।

नेत्र रोगों में लाभदायक है त्रिफला।

प्रमेह या डाइबिटीज में उपयोगी है।

त्वचा रोग या कुष्ठ रोगों में उपयोगी है त्रिफला।

सौम्य विरेचक है त्रिफला – जिन लोगों को कब्ज की शिकायत रहती है उनके लिए फायदेमंद है।

वजन कम करने में मदद करता है त्रिफला – एक चम्मच त्रिफला और एक चम्मच शहद मिला कर सुबह गुनगुने पानी से लें और इसके बाद तीन घंटों तक कुछ भी ना खाएं।

एसिडिटी में लाभदायक है त्रिफला।

कब्ज के लिए या खाना ठीक से नहीं पचता है तो त्रिफला का प्रयोग किया जा सकता है।

बाल झड़ते हैं तो त्रिफला के प्रयोग से लाभ मिलता है।

2 ग्राम तक त्रिफला लेना ठीक है – शहद, घी या गुनगुने पानी से सुबह खाली पेट या सोते वक्त।

पतले या वात के रोगी, मल अगर सूखा है, गर्भवती महिलाएं प्रयोग न करें, जो लोग कमजोर हैं वो प्रयोग न करें। आम तौर पर त्रिफला के कोई साइड इफैक्ट देखने में नहीं आते।

अगर आप को कोई रोग विशेष है तो आप किसी नजदीकी आयुर्वेदिक चिकित्सक की सलाह लें और रोग मुक्त जीवन जीयें। आयुर्वेद को अपना कर आप प्राकृतिक रूप से स्वस्थ रह सकते हैं।

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