जी हॉं आयुर्वेद में शिलाजीत को सर्व व्याधि विनाशनम् कहा गया है। जितने भी साध्य रोग हैं जिन्हें ठीक किया जा सकता है उन सब में शिलाजीत उपयोगी हो सकता है। आम धारणा है कि शिलाजीत का प्रयोग केवल सैक्स संबंधित रोगों में ही होता है, पर यह धारणा सही नहीं है।

शिलाजीत हिमालय की ऊंचाइयों पर सूर्य की गर्मी के कारण पहाड़ों से निकलने वाला स्राव है। यह काला और गाढ़ा होता है। शिलाजीत में पानी 9.5 प्रति शत, नाईट्रोजन 1.3, कारबोनिक एसिड 36.2, चूना 7.8, माइका 1.35 और अर्थ (मिट्टी) 34.65 प्रति शत होता है। हिमालय से प्राप्त शिलाजीत को अलग-अलग तरीकों से शुद्ध किया जाता है। शिलाजीत जब जलता है तो धूआं नहीं होता। और जलते हुए शिलाजीत की आकृति लिंगाकार होगी। शिलाजीत पानी में तार की तरह दिखता है और नीचे बैठ जाता है। जो शिलाजीत गौमूत्र गंधी हो, मतलब जिसमें से गौ मूत्र जैसी गंध आती हो उसे उत्तम माना जाता है।

शिलाजीत अम्ल रस वाला – खट्टा और कसैला होता है और पचने के बाद कड़वा होता है। यह सर है – मतलब आसानी से शरीर में पहुँच जाता है। गतिमान है। सुश्रुत इसे गरम प्रकृति का मानते हैं और चरक इसे सम प्रकृति का मानते हैं। शिलाजीत के प्रयोग से पहले शरीर को वमन विरेचन आदि विधियों से शुद्ध कर लें तो इसका असर अच्छा होगा।

कोई भी रोग जा साध्य है अर्थात जो ठीक हो सकता है, उसमें शिलाजीत उपयोगी हो सकता है। शिलाजीत के प्रयोग से जरा (बुढ़ापा) और मृत्यू को जीता जा सकता है। इसका मतलब यह नहीं कि आप मरेंगे नहीं, अपितु आप जब तक जीवित रहेंगे, स्वस्थ रहेंगे। शिलाजीत हर प्रकार के ज्वर (फीवर) में उपयोगी है। खून की कमी, कमजोरी, शोथ (सूजन), प्रमेह (डाईबिटीज), मंद अग्नि (भूख कम लगना), अर्श (पाइल्स), अपच आदि पेट के रोग, मोटापे को कम करने में, टी बी, शरीर में किसी भी प्रकार के दर्द में, ह्रदय रोगों में और बहुत से रोगों में शिलाजीत का प्रयोग किया जाता है।

सैक्स संबंधित रोगें में भी इसका बहुत अच्छा प्रयोग है।

शिलाजीत को प्रयोग करने की उत्तम अवधि 7 हफ्ते तक है। इसका मतलब कि कम से कम लगभग 2 महीने तक इसका लगातार प्रयोग करने से अच्छा रिजल्ट आता है। 250 मिली ग्राम से 1 ग्राम तक की मात्रा में इसका उपयोग किया जाता है। शिलाजीत के साथ ऐसा खाना ना खाएं जिससे जलन हो या अपच हो, पचने में भारी भाेजन ना खाएं, खट्टा दही आदि न लें, तला हुआ या ज्यादा मसालेदार भोजन न करें।

शिलाजीत को दूध के साथ या शहद के साथ लिया जा सकता है।

शिलाजीत के प्रयोग से यदि कोई समस्या हो तो घी और काली मिर्च का प्रयोग करें।

नोट – यह लेख केवल आपकी जानकारी के लिए है। उचित सलाह के लिए अच्छे आयुर्वेदिक चिकित्सक की सलाह लें।

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